GVFootball Scam : बिहार राजस्थान सरकार की वेबसाइट से हो रहा था प्रमोशन

GV football बहुत कम लोगों ने इसका नाम सुना होगा क्योंकि इसका टारगेट कम लोग ही बने हैं. परंतु फिर भी इस ऐप ने इतने लोगों को टारगेट बना लिया है कि अरबो रुपए इसने ठग लिए हैं. क्या कुछ हुआ है Gvfootball scam के बारे में इस आर्टिकल में पढ़िए.

हैकर्स के द्वारा हैकिंग का उपयोग केवल हैक करने के लिए नहीं बल्कि scam करने के लिए भी किया जाता है. यह आज आप इस आर्टिकल में जानेंगे. आम आदमी ही नहीं सरकारी वेब पोर्टल भी सुरक्षित नहीं है. इस आर्टिकल में आप यह भी जानेंगे कि किस तरह सरकारी पदों पर पहुंचने के बाद, कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाते.

क्या है GV football?

GVfootball एक scam वेबसाइट है इस पर मिलने वाला कैश पूरी तरह से फर्जी होता है, काश असल में एक लालच होता है इस cash को निकालने के लिए यूजर से एक अमाउंट टैक्स के रूप में मांगी जाती है, और वही अमाउंट असल में ठगी होती है क्योंकि उसके बाद यूजर को किसी भी प्रकार का केस नहीं मिलता.

GV football वेबसाइट पर एक हाल ही में केस दर्ज हुआ जिसके बाद इसकी जानकारियां सामने आई. जानकारी में यह सामने आया है कि यह एक चीनी वेबसाइट है. जो भारत में लोगों को टारगेट बना रही थी. इसके स्कैन के मुख्य फंडे लोगों को लालच देना था, उनके अकाउंट में ज्यादा रकम दिखाई जाती थी. और उसके बाद विड्रोल करने से पहले टैक्स पे करने को बोला जाता था.

अकाउंट में अगर 20, 25000 विड्रोल के लिए तैयार दिखाई जाए तो कोई भी व्यक्ति लालच में फंस जाएगा और फिर टैक्स देने को तैयार हो जाएगा. व्यक्ति को यह लगेगा कि टैक्स पे करने के बाद अकाउंट में दिख रही हजारों की रकम उसके पास आ जाएगी. परंतु ऐसा होता नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह से फ्रॉड होता है और टैक्स के नाम पर रकम पे करने के बाद कुछ भी नहीं मिलता.

GVFootball कैसे करता था स्कैम?

मूल रूप से यह फ्रॉड इस वेबसाइट के माध्यम से किया जा रहा था. इसमें यूजर्स को अलग अलग ऑफर दिखाए जाते थे और थोड़ी सी कोई टास्क शेयर इत्यादि करने पर ऑफर जीतने का लालच दिया जाता था. और यूजर के अकाउंट में दिखाया जाता था कि आप इतने हजार या फिर इतने लख रुपए जीत चुके हैं.

अगर आपके मोबाइल फोन में कोई वेबसाइट का लिंक आए जिसमें कुछ सवालों का जवाब देने या फिर व्हाट्सएप शेयर करने मात्र से उसे वेबसाइट पर आपके द्वारा बनाए गए अकाउंट में 50000 दिखाई देने लगे तो आपके मन में लालच आ ही जाएगा.

इसी तरह का फ्रॉड वेबसाइट के द्वारा किया जाता था, इसमें यूजर को फेंक इनामी रकम दिखाई जाती है और यह भरोसा दिया जाता था कि वह व्यक्ति इतना रुपए जीत चुका है.

पैसे निकालने का विकल्प भी दिया जाता है, परंतु एक शर्त रख दी जाती थी. वह शर्त यह थी कि जितना रुपया यूजर निकलने वाला है उसका 12% टॅक्स पड़ेगा. और वह टैक्स पैसे निकालने से पहले जमा करना पड़ेगा.

यानी कि अगर यूजर के अकाउंट में 50000 विनिंग अमाउंट दिखाई दे रहा है, तो यूजर को 6000 टैक्स देना पड़ेगा. और 6000 टैक्स के अमाउंट यूजर को पहले पे करनी पड़ेगी तब वेबसाइट के द्वारा पैसा यूजर के अकाउंट में डाला जाएगा. आरएस 50000 की राशि देखकर के अनगिनत लोग लालच में इतना अंधे हो जाते थे कि टैक्स की रकम दे बैठे थे.

लोग यह नहीं समझ पाए कि यह टेक्स नहीं बल्कि यही तो फ्रॉड है, टैक्स के नाम पर फ्रॉड में फंस कर पैसा देने के बाद वेबसाइट के द्वारा यूजर का अकाउंट डिलीट कर दिया जाता था. और आईपी एड्रेस भी कई बार ब्लॉक कर दिया जाता है.

इसके बाद यूजर पछतावे के अलावा कुछ नहीं कर सकता. इसी तरह अनगिनत लोगों से काफी बड़ी अमाउंट का फ्रॉड इस वेबसाइट के द्वारा किया गया.

सरकारी वेबसाइट्स पर हैकर्स के द्वारा प्रमोशन

हैकिंग में एक तकनीक होती है डिफेसमेंट यह कई सारी तकनीक का मिश्रण होती है. इसमें हैकर्स के द्वारा किसी भी वेबसाइट पर कई सारी अलग अलग तकनीक का इस्तेमाल करके अपनी तरफ से कोई वेब पेज या फिर टेक्स्ट अथवा कोई लिंक ऐड कर देते हैं.

भारत सरकार की वेबसाइट पर अगर हैकर लोग डिफेसमेंट करें तो उसे पर वह अलग से कोई वेब पेज बना सकते हैं जो की आधिकारिक रूप से निक के द्वारा नहीं बनाया गया. परंतु वह उसे पर दिखाई देगा और गूगल रैंक भी करेगा.

उदाहरण के लिए यह स्क्रीनशॉट देखिए

यह सभी भारत सरकार के नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर, के द्वारा बनाई गई और ऑपरेट की जा रही वेबसाइट है. इसमें से दो बिहार की है और एक राजस्थान की. यह गूगल स्क्रीनशॉट है इन साइट्स पर आपको GVfootball बेटिंग एप के आर्टिकल लिंक दिखाई दे रहे हैं.

हैकर्स के द्वारा सरकारी वेबसाइट्स को ही टारगेट बनाया जाता है, बिहार और राजस्थान में टेक्नोलॉजी के मामले में सरकारी नौकरी के पदों पर बैठे हुए कर्मचारी थोड़ा आलसी साबित हो रहे हैं. आमतौर पर इन्हीं दो राज्यों की वेबसाइट को ही ज्यादा टारगेट बनाया जाता है. चुकी सरकारी वेबसाइट थे अथॉरिटी गूगल रैंक में बहुत ज्यादा होती है. अगर इन वेबसाइट पर कोई आर्टिकल पड़ जाए तो गूगल रैंक में वह सबसे पहले मिलता है. और इसी का फायदा scam और फ्रॉड करने वाले लोग उठाते हैं.

ऐसे scam करने वाले लोग ज्यादातर खुद ही हैकर होते हैं, वही इनसाइट्स पर अपने अपने प्रोजेक्ट के संबंध में आर्टिकल और लिंक का डिफेसमेंट कर देते हैं.

एक चीज का बहुत ध्यान रखा जाता है कि यह लिंक केवल मोबाइल में काम करते हैं, अगर इन्हें डेस्कटॉप पर खोलने की कोशिश की जाए तो काम नहीं करते. हैकर्स के द्वारा ऐसी कोडिंग इसलिए की जाती है ताकि सिक्योरिटी चैकअप के दौरान उनके द्वारा की गई है हैकिंग पड़ी ना जाए.

मोबाइल फोन से ज्यादातर आम लोग ही गूगल से ऐसे लिंक पर क्लिक करते हैं. और काम जानकर लोग सरकार के द्वारा ऐसे अप का प्रमोशन समझ करके उसे विश्वसनीय समझ लेते हैं. वह सोचते हैं कि यह सरकार के द्वारा ही समर्थित कोई सुविधा है.

ऐसा नहीं है कि केवल सरकारी डोमैंस की ही अथॉरिटी ज्यादा होती है, प्राइवेट न्यूज़ पोर्टल इतिहास की भी डोमेन अथॉरिटी कई सरकारी डोमेन से भी ज्यादा है. परंतु उनके कर्मचारी इतनी ज्यादा सजग होते हैं और वह सिक्योरिटी का इतना ख्याल रखते हैं कि हैकिंग की घटनाओं को रोक देते हैं.

लेकिन बिहार और राजस्थान की सरकारी वेबसाइट पर हैकर्स के द्वारा इस तरह के डिफेसमेंट कुछ घंटे नहीं कई महीनो तक पड़े रहते हैं. उसके बाद हॉकर्स के द्वारा उन्हें अपडेट करके नए डिफेसमेंट पेज बना दिए जाते हैं.

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, GVfootball एक scam है और यह आखरी नहीं है ना ही यह पहला था. इस तरह के पैसे का लालच देने वाले पोर्टल और ऐप से बच कर रहे. इनका उद्देश्य केवल ठगी करना है. अगर आप ठगी से बचना चाहते हैं तो real or scam का फर्क पहचान सीखें.

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