Blackmailing: कैसे चलता है ब्लैकमेलिंग और खण्डनी वसूली का बिजनेस?

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मुंबई महाराष्ट्र में पुलिस बहुत ही इमानदारी से कार्य करती है कुछ बहुत अपवाद को अगर छोड़ दे तो मुंबई पुलिस का लगभग हर पुलिस वाला बहुत ईमानदारी से कार्य करता है।

यदि किसी पर एफआईआर दर्ज कराने कोई भी पहुंच गया तो कितनी भी बड़ी हस्ती क्यों न हो पुलिस उस हस्ती पर एफआईआर जरूर करेगी और जेल जरूर भेजेगी।

मुंबई माफियाओं की चपेट में लंबे समय से रहा है इसलिए यह के मवाली, ब्लैकमेलर और माफिया लोग समय समय पर अपनी तकनीकी बदलते रहते हैं।

कभी साइबर क्राइम करके तो कभी रेकी करके कभी किसी नए Blackmailing तरीके से ये लोगो से खंडनी वसूलते हैं।

खंडनी क्या है?

किसी से रंगदारी वसूलने को ही महाराष्ट्र की भाषा में खंडनी कहा जाता है। कोई गुंडा माफिया या ब्लैकमेलर किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी तरह से दबाव में लेकर पैसों की वसूली करता है या किसी अन्य काम को करवाता है। आम भाषा में वहा इसको ही खंडनी या फिर हफ्ता वसूली भी कहते हैं। देश के बाकी हिस्सों में इसको रंगदारी वसूलने, एक्सटोर्सन लेना Blackmailing आदि आदि कहते हैं।

कैसे होता है ब्लैकमेलिंग का बिजनेस ?

किसी भी प्रकार की Blackmailing वसूली का बिजनेस करने के लिए अपराधी कैटेगरी के लोग सबसे पहले उस व्यक्ति की अच्छे से रेकी करते हैं। वह कई दिनों या फिर महीना तक उस व्यक्ति की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं।

अपराधियों के पास टारगेटेड व्यक्ति का हर डाटा होता है। जैसे कि –

वह कहां जाता है?

कितने टाइम तक और कहां पर वक्त गुजरता है?

उसके परिवार में कौन कौन है?

उसकी आदतें कैसी है?

वह नशा करने या फिर शराब पीने कहां जाता है?

उसकी पहुंच कितनी है?

उसके मित्र कितने हैं?

किस किस से उसका अफेयर है?

उसकी दौलत कितनी है?

और सबसे बड़ी चीज उसकी हिम्मत और ताकत कितनी है?

यह सारी जानकारी निकाल करके ही वह टारगेटेड व्यक्ति को धमकाते कई बार तो धमकी इतने प्यार से दी जाती है की टारगेट डरता भी है और डरकर किसी से कह भी नहीं पाता क्योंकि उसको वह बहुत प्यार से अपने लपेटे में लेते हैं. टारगेट को यही लगता है की चुपचाप पैसे देते रहो पुलिस के पास जाने से कोई फायदा नही वैसे भी जान का खतरा नहीं है.

एक्सटॉर्शन का बिजनेस करने वाले कई बार अपने टारगेट को इतना प्यार से अपना मित्र की तरह हैंडल करते हैं कि वह उनसे झगड़ा लेने की कभी सोचता ही नहीं।

वसूली माफिया टारगेट को अपनी बातों में फसाते हुए ऐसा एहसास दिलाते हैं, यार तू इतना कमाता है अगर थोड़ा बहुत हमें दे दिया करेगा तो तेरा क्या चला जाएगा और हम भी दोस्ती के नाते तेरा राज दबा कर रखेंगे।

वसूली माफियाओं का शिकार पुलिस से जल्दी शिकायत भी नहीं करता

एक समय था जो वसूली माफिया बिना किसी अच्छी प्लानिंग के सीधे धमकी देकर की कमाई करना चालू कर देते थे। वह सीधे ही लाखों या फिर करोड़ की डिमांड कर देते थे और एक दो बार कमाई के बाद उनका टारगेट उन्हें पुलिस पर कंप्लेंट करके जेल पहुंचा देता था।

जैसे जैसे वक्त बदला वसूली माफिया भी होशियार और सतर्क हो गए, उन्होंने अपनी रणनीति मजबूत कर ली और अब वह अपने टारगेट को इस तरह शिकार बनाते हैं, कि उनके टारगेट खुशी से शिकार बने को तैयार बैठे रहते हैं।

थोड़ा खाओ

अगर किसी व्यक्ति ने कुछ करोड़ तक की ही कमाई की है, और कोई भी वसूली माफिया उसे ब्लैकमेल करके दो चार करोड रुपए की डिमांड करता है तो फिर इकट्ठे इतनी धनराशि गवाने के डर से बचने के लिए सीधी सी बात है पीड़ित व्यक्ति पुलिस के पास पहुंच ही जाएगा।

लेकिन अगर करोड़पति व्यक्ति से महीने के सिर्फ 90 हजार या फिर 1 लाख रुपए ही लिए जाएं तो पीड़ित व्यक्ति इसको आसान कीमत समझ कर देता रहेगा, और इस तरह के अगर 20 टारगेट भी बना लिए गए तो फिर महीने का करीब 18 लाख से 20 लाख रुपया आराम से आता रहेगा और कोई शिकायत भी नहीं होगी।

वसूली माफियाओं ने इस आदत को अपना लिया है, वह करोड़पति व्यक्ति से लाखों में वसूलते हैं और लखपति व्यक्ति से महीने का 10 या 15000. इसलिए पीड़ित व्यक्ति यह सोचकर पुलिस के पास नहीं जाता की चलो थोड़ा ही देना पड़ रहा है अगर पुलिस के पास गया तो बवाल ज्यादा हो जाएगा और यह लोग जान भी ले सकते हैं गुस्से में।

किन-किन बातों के लिए ब्लैकमेल कर सकते हैं?

वसूली माफिया लोग खुद भी बड़े अपराधी होते हैं और ज्यादातर यह छोटे अपराधियों या फिर व्यापारियों को ब्लैकमेल करते हैं। व्यापारियों और छोटे अपराधियों के साथ साथ यह बड़े रईसजादे लोगों को भी उनकी कुछ गलत आदतों को लेकर बेइज्जत करने का डर दिखा कर ब्लैकमेल करते हैं।

छोटे अपराधियों से वसूली

बड़े और वसूली माफिया लोग एक तरह से गैंगस्टर होते हैं और यह खुद बहुत बड़ा गैंग चला रहे होते हैं, जैसे कि देश में कई सारे नाम है लॉरेंस बिश्नोई और नीरज बवाना। ये खुद बड़े गैंगस्टर है और दो नंबर का काम करने वाले दूसरे अपराधियों से महीने का वसूली करते हैं यह वसूली इस नाम पर होती है कि अगर आप इतना पैसा देते रहोगे तो आपको कोई दिक्कत नहीं आएगी बिजनेस करने में।

पैसे देने से मना करने वाले छोटे अपराधियों को या तो यह गैंगस्टर खुद मरवा देते हैं या फिर पुलिस में टिप देकर गिरफ्तार करवा देते हैं।

व्यापारियों से वसूली

देश में कई सारे व्यापारी ईमानदारी से लीगल वर्क करते हैं और कई सारे व्यापारी इलीगल तरीके से धंधा कर रहे होते हैं। ऐसे में कई सारे एनजीओ उनमें कमियां निकालते हुए उन्हें लीगल कार्यवाही की धमकी देकर ब्लैकमेल करते हैं अपना व्यापार ठप हो जाने के डर से वह उन एनजीओ को दान के नाम पर पैसा देते रहते हैं। ऐसे दो नंबर के बिजनेस चलाए रखने के लिए अपराधी लोग भी उनसे वसूली करते रहते हैं।

निजी जानकारियां वायरल करने के नाम पर वसूली

इस प्रकार की ब्लैकमेलिंग का शिकार हर छोटे से बड़ा आदमी होता है, इसमें वसूली माफिया लोग व्यक्तियों के निजी अफेयर और काली हकीकत का पता लगाकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं।

पैसे ना देने पर यह जानकारियां इंटरनेट पर वायरल कर दी जाती है जिससे व्यक्ति का जीवन और उसकी इज्जत खत्म हो जाती है, कई लोगों के घर बर्बाद हो जाते हैं।

अंत में

इस लेख में आपको वसूली माफिया और उनके द्वारा अपनाए जा रहे वसूली के तरीकों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है, इसमें एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अगर आप कोई भी दो नंबर का काम या फिर कोई गलत काम नहीं करते हैं तो आपको कोई भी ब्लैकमेल नहीं कर सकता, जितने भी लोग ब्लैकमेलिंग का शिकार बनते हैं वह कहीं ना कहीं इलीगल कार्य से जुड़े होते हैं, और यही कमी पकड़ कर के वसूली माफिया उनका शोषण करते हैं। यहां दी गई जानकारी जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है, अगर कोई कभी भी आपको ब्लैकमेल करने की कोशिश करें तो बदनामी के डर को पीछे छोड़ते हुए पुलिस को सबसे पहले सूचित करें क्योंकि पुलिस ही आपकी सुरक्षा कर सकती है, धन्यवाद।

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